● शूद्रों को पढ़ाई का अधिकार था।
● उसी जगह पढ़ाई का अधिकार था जहां अन्य वर्ण के लोग पढ़ते थे।
● उसी गुरु से पढ़ने का अधिकार था जिससे अन्य पढ़ते थे
● शूद्रों को राजकाज चलाने का भी अधिकार था। शुद्र वर्ण के लोग भी राजा बन सकते थे।
और इन दुष्ट वामपंथियों ने इतिहास लिखते समय ये लिख दिया कि सनातन धर्म में शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नही था।
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