Sunday, June 25, 2017

Developing nation and GST

द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी के क़रीब ४०% युवा मारे गए थे। सारे पुल ध्वस्त थे, शहर ध्वस्त थे, रेल लाइने ध्वस्त थी। सारी सेवाये ठप्प थी। Allied सैनिक हर हाथ आती जर्मन लड़की का बलात्कार कर रहे थे। घरों को लूट रहे थे, जो प्रतिरोध करता उसे गोली मार रहे थे।
लगभग यही हाल जापान का था।
लेकिन दो दशक के अंदर दोनो देश विश्व की नम्बर दो व तीन आर्थिक शक्ति थे व आज भी है।
कैसे?
क्यूँकि नागरिक सत्यनिष्ठ (honest) है व परिश्रम करना जानते है व जानते है कि कष्ट सहकर ही कुछ मिलता है इस दुनिया में।
और यहाँ इस तथाकथित विश्वगुरु देश में एक GST क्या आ गया, लगता है कि आसमान अब गिरा कि तब गिरा। हर आवाज़ पर लगता है कि शायद आसमान का कोई टुकड़ा होगा।
GST आज की लाइफ़ का disruption है।
तो?
रेल आरक्षण का कम्प्यूटरकरण भी disruption था, बैंक का कम्प्यूटरकरण भी disruption था। दोनो के कर्मचारियों ने ख़ूब छाती पीटी थी, हंगामा किया था। आज दोनो के बग़ैर जीवन की कल्पना कर सकते है आप? कर सकते है?
मोबाइल आए थे तो वामपंथी आँसू भर भर रोए थे। "रोटी नहीं है," "टॉयलेट नहीं है" चिल्लाए थे।
मोबाइल के बिना अब जीवन की कल्पना कर सकते है आप?
इस देश में ही १९४७ में दो करोड़ लोग व १९७१ में एक करोड़ लोग अपना सब गँवा कर आए थे, कुछ तो तन के कपड़े तक गँवा आए थे। उन्होंने भी जीवन शुरू किया फिर और बाक़ियों से अच्छा ही जी रहे है।
टैक्स चोरी इस देश का सबसे बड़ा व्यवसाय है। इसीलिए और कोई बिज़्नेस यहाँ खड़ा भी नहीं होता। आवश्यकता ही नहीं है। GST से इसी धंधे पर चोट पड़ने वाली है, इसीलिए हायतौबा इतनी ज़्यादा है।
कह रहे है मोदी को हरा देंगे। जेटली को हरा देंगे। हरा दो। उनका तो वो बाल भी टेढ़ा नहीं होगा जिसका यहाँ नाम नहीं लिखा जा सकता। क्या आपको नहीं पता कि हारने से मोदी की या जेटली की जीवनशैली पर कोई असर नहीं पड़ेगा? जो असर पड़ेगा उन बेटियों पर पड़ेगा जिनके बसो में बलात्कार होंगे, उन बेटों पर पड़ेगा जो छह हज़ार की नौकरी के लिए जूते घिसेंगे।
क्या? आपको नहीं पता कि टैक्स चोरी व बलात्कार व बेरोजगारी में क्या सम्बन्ध है? नहीं?
आपको टैक्स चोरी का हक़ है तो पुलिस वाले को रिश्वत खाने का क्यूँ नहीं? आपको टैक्स चोरी का हक़ है तो टैक्स अधिकारी को रिश्वत का हक़ क्यूँ नहीं? अगर सरकारी अधिकारियों के रिश्वत खाने से क़ानून ध्वस्त होता है व अर्थव्यवस्था ध्वस्त होती है व उससे बलात्कार होते है व बेरोजगारी आती है तो दोष किसका है?
इस देश का हर व्यक्ति सोचता है कि मेरी कर चोरी अधिकार व दूसरे का भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार।
प्रकृति इतनी मूर्ख नहीं है। प्रकृति में सब कुछ संतुलन में है।
लोग मेहनती व सत्यनिष्ठ होंगे तो देश सम्पन्न होगा व बेटियाँ सुरक्षित होंगी।

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