Monday, June 26, 2017

Indira Gandhi educational details

60 saal सरकार ने इंदिरा गाँधी को एक बहुत ही जिम्मेदार , ताकतवर और राष्ट्रभक्त महिला बताया हैं , चलिए इसकी कुछ कडवी हकीकत से मैं भी आज आपको रूबरू करवाता हूँ !!! इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया. शान्तिनिकेतन से बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि फिरोज खान के साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन केएक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी. नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बन्ने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से गांधी कर लो. परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना - देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनीअसली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले. . के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू राजवंश" (10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों कोसामने रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था. दिलचस्प बात यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घरमें ही हुआ था. मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था. 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और राजनीति" (persons passions and politics )(ISBN-10: 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था. कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला है. यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्परहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवरसिंह एक आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहींकिया गया. अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह एक सुनसान जगहथी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज मैंने अपने इतिहास को

Sunday, June 25, 2017

Developing nation and GST

द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी के क़रीब ४०% युवा मारे गए थे। सारे पुल ध्वस्त थे, शहर ध्वस्त थे, रेल लाइने ध्वस्त थी। सारी सेवाये ठप्प थी। Allied सैनिक हर हाथ आती जर्मन लड़की का बलात्कार कर रहे थे। घरों को लूट रहे थे, जो प्रतिरोध करता उसे गोली मार रहे थे।
लगभग यही हाल जापान का था।
लेकिन दो दशक के अंदर दोनो देश विश्व की नम्बर दो व तीन आर्थिक शक्ति थे व आज भी है।
कैसे?
क्यूँकि नागरिक सत्यनिष्ठ (honest) है व परिश्रम करना जानते है व जानते है कि कष्ट सहकर ही कुछ मिलता है इस दुनिया में।
और यहाँ इस तथाकथित विश्वगुरु देश में एक GST क्या आ गया, लगता है कि आसमान अब गिरा कि तब गिरा। हर आवाज़ पर लगता है कि शायद आसमान का कोई टुकड़ा होगा।
GST आज की लाइफ़ का disruption है।
तो?
रेल आरक्षण का कम्प्यूटरकरण भी disruption था, बैंक का कम्प्यूटरकरण भी disruption था। दोनो के कर्मचारियों ने ख़ूब छाती पीटी थी, हंगामा किया था। आज दोनो के बग़ैर जीवन की कल्पना कर सकते है आप? कर सकते है?
मोबाइल आए थे तो वामपंथी आँसू भर भर रोए थे। "रोटी नहीं है," "टॉयलेट नहीं है" चिल्लाए थे।
मोबाइल के बिना अब जीवन की कल्पना कर सकते है आप?
इस देश में ही १९४७ में दो करोड़ लोग व १९७१ में एक करोड़ लोग अपना सब गँवा कर आए थे, कुछ तो तन के कपड़े तक गँवा आए थे। उन्होंने भी जीवन शुरू किया फिर और बाक़ियों से अच्छा ही जी रहे है।
टैक्स चोरी इस देश का सबसे बड़ा व्यवसाय है। इसीलिए और कोई बिज़्नेस यहाँ खड़ा भी नहीं होता। आवश्यकता ही नहीं है। GST से इसी धंधे पर चोट पड़ने वाली है, इसीलिए हायतौबा इतनी ज़्यादा है।
कह रहे है मोदी को हरा देंगे। जेटली को हरा देंगे। हरा दो। उनका तो वो बाल भी टेढ़ा नहीं होगा जिसका यहाँ नाम नहीं लिखा जा सकता। क्या आपको नहीं पता कि हारने से मोदी की या जेटली की जीवनशैली पर कोई असर नहीं पड़ेगा? जो असर पड़ेगा उन बेटियों पर पड़ेगा जिनके बसो में बलात्कार होंगे, उन बेटों पर पड़ेगा जो छह हज़ार की नौकरी के लिए जूते घिसेंगे।
क्या? आपको नहीं पता कि टैक्स चोरी व बलात्कार व बेरोजगारी में क्या सम्बन्ध है? नहीं?
आपको टैक्स चोरी का हक़ है तो पुलिस वाले को रिश्वत खाने का क्यूँ नहीं? आपको टैक्स चोरी का हक़ है तो टैक्स अधिकारी को रिश्वत का हक़ क्यूँ नहीं? अगर सरकारी अधिकारियों के रिश्वत खाने से क़ानून ध्वस्त होता है व अर्थव्यवस्था ध्वस्त होती है व उससे बलात्कार होते है व बेरोजगारी आती है तो दोष किसका है?
इस देश का हर व्यक्ति सोचता है कि मेरी कर चोरी अधिकार व दूसरे का भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार।
प्रकृति इतनी मूर्ख नहीं है। प्रकृति में सब कुछ संतुलन में है।
लोग मेहनती व सत्यनिष्ठ होंगे तो देश सम्पन्न होगा व बेटियाँ सुरक्षित होंगी।